Thursday, October 25, 2018

जब श्रीराम ने पूछा- चंद्रमा में जो कालापन है, वह क्या है,कोई नहीं दे सका जबाव

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 27 अक्टूबर को है। इस दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन चंद्रमा की ही पूजा क्यों की जाती है? इस संबंध में कई कथाएं व किवंदतियां प्रचलित हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है, जो इस प्रकार है-

इसलिए करवा चौथ पर करते हैं चंद्रमा की पूजा...

- रामचरितमानस के लंका कांड के अनुसार, जिस समय भगवान श्रीराम समुद्र पार कर लंका में स्थित सुबेल पर्वत पर उतरे और श्रीराम ने पूर्व दिशा की ओर चमकते हुए चंद्रमा को देखा तो अपने साथियों से पूछा - चंद्रमा में जो कालापन है, वह क्या है?

- सभी ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार जवाब दिया। किसी ने कहा चंद्रमा में पृथ्वी की छाया दिखाई देती है। किसी ने कहा राहु की मार के कारण चंद्रमा में कालापन है तो किसी ने कहा कि आकाश की काली छाया उसमें दिखाई देती है।

- तब भगवान श्रीराम ने कहा- विष यानी जहर चंद्रमा का बहुत प्यारा भाई है (क्योंकि चंद्रमा व विष समुद्र मंथन से निकले थे)। इसीलिए उसने विष को अपने ह्रदय में स्थान दे रखा है, जिसके कारण चंद्रमा में कालापन दिखाई देता है। अपनी विषयुक्त किरणों को फैलाकर वह वियोगी नर-नारियों को जलाता रहता है।

- इस पूरे प्रसंग का मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं, चंद्रमा की विषयुक्त किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। 

- इसलिए करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा कर महिलाएं ये कामना करती हैं कि किसी भी कारण उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े। यही कारण है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान है।

इस पर कृष्ण मुस्कराते रहे। यह देख राधा जी का गुस्सा शांत हो गया और उन्होने कृष्ण जी से देरी का कारण पूछा। कृष्ण ने बतलाया कि उस दिन कार्तिक में मनाया जाने वाला एक पर्व था और मैया यशोदा ने उन्हें रोक लिया इसी कारण देर हो गई।

कारण जानकर राधा को अपनी भूल का पछतावा हुआ और कृष्ण से क्षमा मांगने लगी। इस पर कृष्ण ने कहा कि राधा क्षमा मत मांगो मैं तो तुम्हारे प्रेम से वैसे ही बंधा हूं लेकिन आज तुमने मुझे प्रत्यक्ष रूप से बांधा इसलिए यह महीना मुझे विशेष रूप से प्रिय होगा। इस तरह कार्तिक महीने को एक और नाम मिला ‘राधा-दामोदर मास।

इसके बारे में मान्यता है कि इस महीने में राधा रानी का विधिपूर्वक पूजा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और सभी कामनाओं की पूर्ति करते हैं।

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