Wednesday, January 23, 2019

फोटोग्राफर्स गढ़ते हैं राष्ट्रपतियों की छवि: ओबामा को मिलनसार, ट्रम्प को दूरी बनाने वाला नेता बताया

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपतियों की छवि कई बार गढ़ी भी जाती है। व्हाइट हाउस के फोटोग्राफर्स तस्वीरों के जरिए यह काम करते हैं। जैसे- एक फोटो में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कुछ दूर्र से लोगों का अभिवादन करते दिखाया गया है। इस फोटो में ट्रम्प आम लोगों से दूरी बनाकर रखने वाले एक ताकतवर व्यक्ति के रूप में दिखाई देते हैं। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर ओवल ऑफिस में पांच साल के अश्वेत बच्चे द्वारा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाल छूकर देखने की तस्वीर जारी की गई थी। इसके जरिए उन्हें विनम्र दिखाया गया।

ट्रम्प ऐसे दिखते हैं शक्तिशाली
जिस तस्वीर में ट्रम्प को लोगों का अभिवादन करते दिखाया गया है, उसे राष्ट्रपति के पीछे से खींचा गया है। फोटो में राष्ट्रपति की कार में लगा अमेरिकी झंडा है और कुछ दूरी पर लोग खड़े हैं। बीच में कोई भी नहीं है। यह तस्वीर ट्रम्प को दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में दिखाने के लिए जारी की गई थी।

बराक ओबामा के 8 साल के कार्यकाल में उनकी कई तस्वीरें सामने आईं। 2011 में पाक के एबटाबाद में अमेरिकी नेवी सील कमांडो ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। ओबामा ओवल हाउस में बैठकर इस ऑपरेशन को लाइव देख रहे थे। इस फोटो से दुनिया के सामने ओबामा की आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध नेता की छवि उभरी।

जॉन एफ कैनेडी (1961-63) के वक्त व्हाइट हाउस में आधिकारिक फोटोग्राफर का पद नहीं था। उस वक्त मिलिट्री फोटोग्राफर्स ही विदेश दौरों या स्टेट डिनर की फोटो खींचते थे। पत्रकार केनेथ टी वाल्श ने अपनी किताब अल्टीमेट इनसाइडर्स: व्हाइट हाउस फोटोग्राफर्स एंड हाउ दे शेप हिस्ट्री में बताया है कि कैनेडी तस्वीरों की अहमियत से वाकिफ थे। उन्होंने आर्मी के एक फोटोग्राफर सिसिल स्टॉटन से अपने कार्यकाल का दस्तावेजीकरण करने को कहा था।

स्टॉटन ने कैनेडी के निजी जीवन की फोटो खींचने का प्रस्ताव रखा। कैनेडी ने कहा कि ऐसा कुछ मौकों पर किया जा सकता है। इसी दौरान व्हाइट हाउस के वेस्ट विंग में कैनेडी की अपने बेटे के साथ टहलने की फोटो सामने आई। वाल्श का दावा है कि कैनेडी दंपती ने अपनी छवि को महफूज रखने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए। मसलन स्वीमिंग पूल में प्रवेश करते हुए राष्ट्रपति का फोटो तब तक नहीं खींचा जाता था, जब तक वे गर्दन तक पानी में नहीं चले जाते थे।

स्टॉटन ने एक और शानदार तस्वीर खींची। 22 नवंबर 1963 को कैनेडी की हत्या हुई। इसके कुछ देर बाद ही तत्कालीन उपराष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन ने एयरफोर्स वन के ऑफिस में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उनके बगल में कैनेडी की पत्नी जैकलीन भी खड़ी थीं। इस फोटो ने साफ कर दिया कि कैनेडी नहीं रहे और लिंडन राष्ट्रपति बन चुके हैं।

जॉनसन ने स्टॉटन को हटाकर अपने साथ काम कर चुके योइची ओकामोता तो व्हाइट हाउस फोटोग्राफी का जिम्मा सौंपा। ओकामोता ने जॉनसन की अपने डॉगी के साथ खेलते, मानवाधिकार नेताओं के साथ बैठक करते, सर्जरी के बाद बिस्तर पर आराम करते हुए जैसी कई फोटो खींचीं।

वहीं, रिचर्ड निक्सन (1969-74) ने अपने फोटोग्राफर ओली एटकिंस के आने पर ही प्रतिबंध लगा दिया। जिमी कार्टर (1977-80) ने कोई फोटोग्राफर हायर ही नहीं किया।

बराक ओबामा ने शिकागो ट्रिब्यून अखबार के लिए काम कर चुके पीट सूजा को व्हाइट हाउस का ऑफिशियल फोटोग्राफर बनाया। सूजा के मुताबिक- ओबामा जानते थे कि एडमिनिस्ट्रेशन के लिए विजुअल रिकॉर्ड (फोटो) की क्या अहमियत है। ओबामा के कार्यकाल के दौरान ली गईं करीब 20 लाख तस्वीरों को नेशनल आर्काइव ने सुरक्षित रखा है।

ट्रम्प के शासनकाल में व्हाइट हाउस के आधिकारिक फोटोग्राफर के पद पर शीला क्रेगहेड हैं। वह इससे पहले लॉरा बुश (जॉर्ज डब्ल्यू बुश की पत्नी), सारा पेलिन (अलास्का की पूर्व गवर्नर) की निजी फोटोग्राफर थीं। ओबामा प्रशासन से तुलना करें तो ट्रम्प की टीम कम तस्वीरें जारी करती है। क्रेगहेड की ज्यादातर तस्वीरें कठोर होती हैं।

Friday, January 11, 2019

लगातार 10 दिनों तक गेम खेलने से फिटनेस ट्रेनर की मानसिक हालत बिगड़ी, अब अस्पताल में

ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया के सबसे पॉपुलर गेम में से एक पबजी की वजह से जम्मू-कश्मीर के एक फिटनेस ट्रेनर को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। दरअसल, यह ट्रेनर लगातार 10 दिन से पबजी खेल रहा था, जिस वजह से उसके दिमाग पर इस गेम का असर इस कदर हावी हो गया कि वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठा। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

उसके दिमाग ने काम करना बंद किया

फिटनेस ट्रेनर की पहचान तो जाहिर नहीं की गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि उसने 10 दिन पहले ही पबजी गेम डाउनलोड किया था।
लगातार इतने दिनों तक गेम खेलने की वजह से उसकी दिमागी हालत बिगड़ती चली गई और गेम का एक राउंड पूरा करने के बाद वो खुद को नुकसान पहुंचाने लगा। 
फिटनेस ट्रेनर का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि उसकी हालत अभी भी गंभीर बनी है। उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि वो लोगों को पहचान तो रहा है, लेकिन उसके दिमाग पर अभी भी गेम का असर है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसका दिमाग ठीक तरह से काम नहीं कर पा रहा है।

अब तक 6 मामले आए, गेम पर बैन लगाने की मांग
जम्मू-कश्मीर में पबजी गेम की वजह से इस तरह के अब तक 6 मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर इस गेम पर बैन लगाने की मांग की है।

पिछले साल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गेम खेलने की लत को मानसिक रोग की श्रेणी में शामिल किया है, जिसे 'गेमिंग डिसऑर्डर' नाम दिया गया है। शट क्लीनिक के अनुसार टेक एडिक्शन वालों में 60 फीसदी गेम्स खेलते हैं। 20 फीसदी पोर्न साइट देखने वाले होते हैं। बाकी 20 फीसदी में सोशल मीडिया, वॉट्सएप आदि के मरीज आते हैं।
शट (सर्विसेस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी) क्लीनिक के डॉक्टर मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि गेम खेलने की वजह से खुद का खुद पर नियंत्रण खत्म हो रहा है। गेम खेलते हैं तो खेलते ही रहते हैं। जीवन शैली में एक ही एक्टिविटी रह गई है। उनका कहना है कि गेम खेलने से होने वाले नुकसान की जानकारी भी होती है, लेकिन उसके बावजूद आप खेलते रहते हैं।

दुनियाभर में 2.3 अरब गेमर्स, इनमें से 22 करोड़ भारत में

गेमिंग एनालिटिक्स फर्म न्यूज़ू के मुताबिक दुनियाभर में आज गेमिंग इंडस्ट्री की कमाई 138 अरब डॉलर (करीब 9700 अरब रुपए) से ज्यादा की हो चुकी है। इसमें लगभग 51 फीसदी हिस्सेदारी मोबाइल सेगमेंट की है। 
वहीं, गेमिंग रेवेन्यू के मामले में भारत टॉप 20 देशों में आता है। 2021 तक गेमिंग मार्केट की कमाई 100 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है। न्यूज़ू के मुताबिक पूरी दुनिया में 2.3 अरब गेमर्स हैं। इसमें 22 करोड़ गेमर्स भारत से हैं।

Sunday, January 6, 2019

'मनमोहन सिंह को बेचना बीएमडब्लू कार बेचने जैसा था'

अगर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल पर किताब लिखने वाले उनके प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू की बात मानी जाए तो मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के संबंधों की पहली परीक्षा हुई थी जब 15 अगस्त, 2004 को उन्हें लाल क़िले की प्राचीर से देश को संबोधित करना था.

बारू से कहा गया कि वो भाषण से एक दिन पहले उसके ड्रेस रिहर्सल यानी पूर्वाभ्यास में भाग लें. जब वो लाल क़िले पर पहुंचे तो उन्होंने जिज्ञासावश भाषण के दौरान होने वाले 'सिटिंग अरेंजमेंट' पर नज़र दौड़ाई.

भाषण मंच से थोड़ा पीछे मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरन कौर की कुर्सी थी. उसके बाद वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी थी. पहली पंक्ति से सोनिया गांधी की कुर्सी नदारद थी.

जब बारू ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारी से पूछा कि सोनिया को कहाँ बैठाया जाएगा तो उसने चौथी या पांचवी पंक्ति की तरफ़ इशारा कर दिया जहाँ उनकी बग़ल में नजमा हेपतुल्लाह को बैठाया जाना था.

बारू ये सुन कर अवाक रह गए. उन्होंने मन में सोचा कि इससे मनमोहन सिंह को व्यक्तिगत तौर पर बहुत शर्मिंदगी होगी और सोनिया गांधी भी अपमानित महसूस करेंगी.

संजय बारू ने अपनी किताब 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर - द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ़ मनमोहन सिंह' में मनमोहन सिंह को कहते बताया है कि उनकी नज़र में पार्टी अध्यक्ष का पद प्रधानमंत्री के पद से अधिक महत्वपूर्ण है.

मैंने संजय बारू से पूछा कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के संबंधों में सिर्फ़ यही एक जटिलता थी या कुछ और भी?

बारू का जवाब था, "काफ़ी साफ़-साफ़ संबंध था दोनों का. मनमोहन सिंह बहुत आदर से उनसे पेश आते थे और सोनिया गांधी भी उनसे एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की तरह व्यवहार करती थीं. लेकिन मनमोहन सिंह ने ये मान लिया था कि पार्टी अध्यक्ष का पद प्रधानमंत्री के पद से अधिक महत्वपूर्ण था. हमारे देश में ये पहली बार हुआ था."

"पचास के दशक में आचार्य कृपलानी जब कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो उन्होंने नेहरू से कहा था कि पार्टी अध्यक्ष के नाते आपको मुझे बताना होगा कि आप सरकार में क्या करने जा रहे हैं? जवाहरलाल नेहरू ने कृपलानी से कहा कि मैं आपको इस बारे में कुछ नहीं बता सकता."

"अगर आपको जानना है कि सरकार में क्या हो रहा है तो आप मेरे मंत्रिमंडल के सदस्य बन जाइए. नेहरू ने उन्हें बिना विभाग के मंत्री का पद 'ऑफ़र' भी किया. लेकिन कृपलानी ने इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया."

"जब कृपलानी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया, तब से ये माना जाने लगा कि प्रधानमंत्री का ओहदा और स्तर पार्टी अध्यक्ष से बड़ा है. मेरा मानना है कि मनमोहन सिंह का ये मान लेना कि प्रधानमंत्री का पद पार्टी अध्यक्ष के पद से एक पादान नीचे है, ग़लत था."

बारू बताते हैं, "प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बात की छूट नहीं थी कि वो अपनी टीम का ख़ुद चयन करें. रोज़ के स्तर पर सोनिया गाँधी के निर्देश अहमद पटेल या पुलक चटर्जी के ज़रिए मनमोहन सिंह के पास आते थे. पटेल ही उन लोगों की लिस्ट प्रधानमंत्री के पास लाते थे, जिन्हें सोनिया मंत्रिमंडल में रखना या निकालना चाहती थीं."

"एक बार वो सोनिया का संदेश लेकर प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल फेरबदल में राष्ट्रपति को मंत्रियों के नाम भेजे जाने से तुरंत पहले मनमोहन सिंह के पास पहुंचे. दूसरी लिस्ट टाइप करने का समय नहीं था. इसलिए मूल लिस्ट में एक नाम पर 'व्हाइटनर' लगा कर दूसरा नाम लिखा गया."

"इस तरह आँध्र प्रदेश के सांसद सुबिरामी रेड्डी को मंत्री की शपथ दिलाई गई और हरीश रावत ( जो बाद में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने) का नाम काट दिया गया. सोनिया गांधी का ये भी प्रयास रहता था कि सरकार की सामाजिक नीतियों का श्रेय भी प्रधानमंत्री को न मिल कर पार्टी को मिले."

मैंने संजय बारू से पूछा कि क्या इसके ज़रिए सोनिया गांधी मनमोहन सिंह को बताना चाह रही थीं कि 'हू इज़ द बॉस?'

बारू का जवाब था, "मेरे ख्याल से ये सोनिया गाँधी की कोशिश नहीं थी, बल्कि पार्टी के दूसरे नेताओं की कोशिश थी. उनका मानना था कि पार्टी प्रधानमंत्री से बड़ी है और इस तरह की चर्चा कांग्रेस नेताओं में होती थी. प्रधानमंत्री की तरफ़ से कभी इसका प्रतिवाद नहीं किया गया."

राजनीतिक रूप से बहुत नज़दीकी से काम करने के बावजूद सोनिया और मनमोहन सिंह के बीच एक तरह की सामाजिक दूरी थी और वो आपस में घुलमिल नहीं पाते थे.

बारू कहते हैं, "दोनों परिवारों के बीच आना-जाना नहीं था. मैं नहीं समझता कि वो कभी चाय पर बैठ कर गप मारते थे. मैने मनमोहन सिंह की बेटियों को कभी राहुल गांधी या प्रियंका गाँधी से बात करते नहीं देखा. मेरे ख्याल में दोनों परिवारों के बीच जो थोड़ा बहुत रिश्ता था, वो मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हुआ."

百亿定增遭遇跌停,“中国女首富”做错了什么?

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