मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चुनावी समीकरण दिलचस्प बन गए हैं. वहां से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा के कट्टर हिंदुत्व का चेहरा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हैं.
भोपाल में साध्वी प्रज्ञा दिग्विजय के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन पाएंगी इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
मालेगांव बम धमाकों की अभियुक्त रह चुकीं साध्वी प्रज्ञा बहुत ज़ोर-शोर से प्रचार भी कर रही हैं. अपने भड़काऊ भाषणों के लिए साध्वी प्रज्ञा को जाना जाता है.
कुछ इसी अंदाज़ में वो अपने विरोधियों पर इस बार हमले कर रही हैं. चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा के दिग्विजय सिंह के लिए दिए बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके प्रचार पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगाया है.
इस प्रतिबंध पर दिग्विजय सिंह का कहना है कि वो चाहते हैं साध्वी प्रज्ञा और ज़्यादा बोलती रहें.
दिग्विजय सिंह कहते हैं, ''मैंने अभी चुनाव आयोग का आदेश नहीं देखा है. वैसे भी मैं तो चाहता हूं कि साध्वी प्रज्ञा जितना बोलें उतना ही अच्छा होगा. क्योंकि उनके वक्तव्यों का अपना अलग ही लहज़ा होता है.''
'भाजपा वाले सिर्फ़ झूठ बोलते हैं'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मध्य प्रदेश में रैलियां करते हैं तो दिग्विजय सिंह का ज़िक्र करना नहीं भूलते. उन्होंने दिग्विजय पर आरोप लगाए कि वो विवादित इस्लामिक प्रचारक ज़ाकिर नाइक के साथ मंच साझा करते हैं.
इस पर दिग्विजय सिंह तंज भरे लहज़े में कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी उन्हें जितनी इज़्जत बक्शते हैं वो भी उन्हें उतनी ही इज़्जत बक्शेंगे.
राहुल गांधी की नागरिकता पर उठे विवाद पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह कोई नया मामला नहीं है. जब कभी भी भाजपा निराश होती है तो इस मामले को उठाने लगती है. साल 2014 के चुनाव में भी उन्होंने इस मुद्दे को हवा दी थी.
दिग्विजय कहते हैं, ''जो व्यक्ति मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के परिवार से आता हो. जिसके परिवार से तीन लोग देश के प्रधानमंत्री रह चुके हों वह किसी दूसरे देश की नागरिकता क्यों अपनाएगा. इसका सवाल ही नहीं उठता और इस मुद्दे को उठाने वाले सिर्फ़ मज़ाक करना चाहते हैं.''
भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर लगातार दिग्विजय सिंह पर हमलावर रही हैं. उन्होंने अपने एक भाषण में दिग्विजय को 'आतंकवादी' तक बोल दिया था. लेकिन दिग्विजय अभी तक साध्वी प्रज्ञा पर अधिक हमलावर नहीं हुए.
अपने इस रुख पर वो कहते हैं, ''मैं कभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलता. उन्हें मुझ पर जो आरोप लगाने हैं लगाएं, अगर वो अपने आरोपों के साथ प्रमाण भी देंगी तो मुझे और अधिक खुशी होगी.''
वो कहते हैं, ''अगर मैं आतंकवादी हूं तो मुझे गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया. अगर मेरे ख़िलाफ़ एक भी प्रमाण होता तो क्या मोदी जी मुझे छोड़ देते. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुझे देशद्रोही कहा. ये लोग बिना प्रमाण की बातें करना जानते हैं.''
आखिरकार आरएसएस की दिग्विजय से इतनी अधिक नाराज़गी क्यों है और उनके ख़िलाफ साध्वी प्रज्ञा को क्यों खड़ा किया गया है. इसके जवाब में दिग्विजय कहते हैं कि आरएसएस उनसे इस वजह से चिढ़ता है क्योंकि वो सनातन हिंदू हैं.
दिग्विजय कहते हैं, ''आज हमारे धर्मगुरू शंकराचार्य जी हैं, क्या किसी भी पीठ के शंकराचार्य का समर्थन विश्व हिंदू परिषद या आरएसएस या बीजेपी को है. ये लोग दरअसल कुटिल प्रयासों के ज़रिए धर्म का इस्तेमाल कर मठों और मंदिरों पर कब्ज़ा करना चाहते हैं. और यह सब सनातन धर्म की परंपराओं के विपरीत है.''
भाजपा अक्सर दिग्विजय की धार्मिक आस्था को ढोंग बताती रही है. इस पर दिग्विजय अपनी नर्मदा यात्रा का ज़िक्र करते हैं और कहते हैं कि क्या 6 महीने में 3100 किलोमीटर की पैदल परिक्रमा करना ढोंग हो सकता है.
वो कहते हैं, ''मैं 30 साल से लगातार गोवर्धन जी की परिकर्मा करता रहा हूं, मेरे घर में पुश्तैनी सात मंदिर हैं जिसमें से चार में अखंड जोत जलती है. क्या ये सब ढोंग है. मुझे किसी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.''
भाजपा कहती रही है कि दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द गढ़े. इस पर दिग्विजय सिंह का जवाब है कि उन्होंने कभी भी इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया.
वो कहते हैं, ''आरके सिंह ने हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था जिन्हें भाजपा ने टिकट देकर सांसद बना दिया, साथ ही केंद्र में मंत्री भी बना दिया. सतेंद्र पाल सिंह जो कि महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर थे. उन्होंने भगवा आतंकवाद कहा था, उन्हे भी भाजपा ने मंत्री बनाया.''
''भाजपा को ऐसे लोग पसंद आते हैं, इन लोगों के ज़रिए भाजपा को अपने मन की बात कहने का मौका मिल जाता है. मैंने संघी आतंकवाद कहा था जो कि मैं आज भी कहता हूं. ''
संघी आतंकवाद शब्द के बारे में दिग्विजय सिंह बताते हैं, ''धर्म के नाम पर जो बम धमाके हुए इन के आरोप जिन पर लगे और जो लोग गिरफ्तार हुए, वो इसी संस्था से जुड़े हैं.''
दिग्विजय सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अभिनव भारत संस्था किन लोगों की है.
पिछले लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की भारी मतों से जीत हुई थी, वो हंसते हुए कहते हैं कि इस बार भी वो आसान जीत दर्ज करेंगे.
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